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🌿भाव यात्रा 🌿

🌿भाव यात्रा 🌿 🌿भाव की चाहत 🌿 भाव से करू प्रार्थना हवा से सफल महा शिविर की तो आनंद का तूफान आ जाए ...🌿 भाव से करू प्रार्थना बादल से सफल महा शिविर की तो चैतन्य की बरसात हो जाए ...🌿 भाव से करू प्रार्थना सागर से सफल महा शिविर की तो  संस्कार का सैलाब  आ जाए...🌿 भाव से करू प्रार्थना गुरु सत्ता से  तो विश्व की पवित्र आत्माओं पर समर्पण ध्यान का संस्कार घटित हो जाए ...🌿 भाव से करू प्रार्थना गुरु चरणों में असंख्य आत्माए लाभान्वित हो इस महा शिविर से, कि हमारे सद्गुरु की आत्म ग्यान  बांटने की अभिलाषा पूरी हो जाए...🌿          🌿भाव 🤝🌿

🌺महाशिविर २३ दिसंबर से ३० दिसंबर 🌺

•• गुरुशक्तियों ने २३ दिसंबर से ३० दिसंबर तक एक महाशिविर का आयोजन किया है। •• यानि हम पूरे साल को , जैसे पिछले साल गुरुशक्तियों ने कहा था कि अगला साल डिप्रेशन का होगा लेकिन डिप्रेशन के साल में भी साधकों को कही भी डिप्रेशन में जाने नहीं दे रहे हैं ; गुरुशक्तियाँ जगह-जगह प्रोटेक्ट कर रही है , आखरी महीने तक प्रोटेक्ट कर रही है। •• और दूसरा न , अभी का जो वातावरण है , अभी की जो स्थिति है ; हो सकता है इस परिस्थिति का प्रभाव आपके ऊपर भी पड़ रहा हो। आपकी भी स्थिति ख़राब हो। ऐसे समय इस महाशिविर का प्रचार कार्य आप करो। •• तो क्या होगा ? प्रचार कार्य करोगे तो जाने अनजाने में आपके भीतर से चैतन्य बहेगा। •• दूसरा न , जो साधक नहीं है , उन साधकों को भी दो न। तो क्या करने का , कम से कम प्रत्येक साधक दस नॉन साधक को इसका ज्ञान दे , जानकारी दे , माहिती दे। दूसरा देने के बाद में वो आ रहा है कि नहीं आ रहा है उधर चित्त नहीं डालने का है। - परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी - चैतन्य महोत्सव २०२०

🌺🌺एकांन्त ध्यान साधना🌺🌺

कुछ दिन एकान्त मे कच्छ मे रह कर ध्यान साधना की । श्री धनजी भाई ने इसके लीये विशेष स्थान पर जाने की परमीशन ले कर दी थी । मीलो तक जब कोई मनुष्य न हो तो “ओरा” स्वयम ही विशाल हो जाता है । इसका अनुभव “कच्छ के सफेद रण" में आया है । ऐसा लगा कि सचमुच है कच्छ का रण नही देखा तो कुछ नही देखा । नमक की विशालता विचारो की नकारात्मकता को कम करती है और ध्यान तो स्वयम् ही लग जाता है आप भी कभी इसका अनुभव लेकर देखें । आप सभी को खुबखुब आशिवाद                       आपका अपना                       बाबा स्वामी                       ११/१२/२०२० 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

बाँटना सही अर्थ मे साधक का जीवन

✿  जो कुछ ज्ञान मिला है, वह बाँटने के कारण सदैव हमारा चित्त दूसरे को देने की ओर होता है। हम सदैव दाता रहते हैं, याचक नहीं। और यह देने की क्षमता ही हमको विकसित करती है।  ✿   प्रत्येक साधक को अपने-आपको परमात्मारूपी वृक्ष की एक छोटी-सी टहनी समझना चाहिए और परमात्मारूपी वृक्ष से जो भी मिलता है, उसे बाँटना चाहिए। ✿   बाँटना ही सही अर्थ में साधक का जीवन है। जो बाँट रहा है, वही सही अर्थ में जुड़ा हुआ है और जो जुड़ा हुआ है, वही सही अर्थ में जीवित है। ✿   मनुष्य-जीवन का सारा रहस्य इस बाँटने में छुपा हुआ है। आप किसे बाँट रहे हो कौन ग्रहण कर रहा है कितना ग्रहण कर रहा है, वह उस ज्ञान का सदुपयोग करेगा या नहीं करेगा, ग्रहण करनेवाला योग्य व्यक्ति है या नही है, ये देखाना भी साधक का क्षेत्र नहीं है क्योंकि साधक यह ज्ञान उस व्यक्ति के विकास के लिए नहीं दे रहा है। वह साधक वह ज्ञान दूसरे को इसीलिए दे रहा है कि वह जितना अधिक ज्ञान बाँटेगा, उतना अधिक उसे प्राप्त होगा। साधक स्वयं की ही आध्यात्मिक प्रगति के लिए दे रहा है। और साधक वह ज्ञान देकर सामनेवाले व्यक्ति पर उपकार नहीं कर रहा, वह अपने स्वयं पर उपकार कर रहा

🌺🌺आध्यात्मिक जगत🌺🌺

प्रा:य मनुष्य तीन जगत मे जीता है । एक है शारीरिक जगत , दुसरा है , मानसिक जगत, तीसरा है आंध्यात्मीक जगत । आप अगर अपने जीवन मे शारीरिक व मानसिक जगत मे जीवन मे पूर्ण समाधान और सुख प्राप्त कर चुके हो तो बहुत ही अच्छी बात है । अगर आपने सपूर्ण समाधान नही प्राप्त किया हो तो आपको आध्यात्मिक जगत मे जाने का अवसर “ समपेणध्यान महाशिबीर “ के माध्यम से 23 से 30 डिसेम्बर 2020 को आप “गुरूतत्व” यु ट्युब चेनल पर सुबह ६ बजे या शाम ६ बजे देखकर  समाधान प्राप्त कर सकते हैं । आप सभी को खूब खूब आशिर्वाद                     आपका अपना                    बाबा स्वामी                   ( एकांन्त से )                 १०/१२/२०२०

🌺 समपेण ध्यान संस्कार है ।🌺

प्रायः समाज मे ध्यान की अनेक विधियाँ और पद्धतियाँ प्रचलित हैं । किसी को कौनसी विधी या पद्धति पंसद है यह प्रत्येक मनुष्य की पंसद पर निर्भर है क्योंकि यह एक शरीर से सिखी जा सकती है सिखाई जा सकती है । समपेण ध्यान,  एक पवीत्र आत्मा द्वारा एक पवीत्र “आत्मा” पर हुआ  “संस्कार “ है । आत्मा तो सभी की एक ही है । इसलिये इसमे न तो कोई गुरू है और न कोई शिष्य सब एक ही है । आज विश्व के 70 से अधीक देशो की आत्माऐ यह पवीत्र संस्कार ग्रहण कर चुकी हैं जो विंभिन्न जाति धर्म देश रंग की हैं । आप भी २३ से ३० डिसेम्बर को होने वाले “ समपेण ध्यान संस्कार” शिबीर “ मे आमन्त्रित हैं । “गुरतत्व” युट्युब चेनल पर यह  सुबह ६ बजे से दिखाया जायेगा  शाम ६ बजे भी रिपीट टेलीकास्ट होगा।           आप सभी को खुबखुब आशिर्वाद                आपका अपना                 बाबा स्वामी                 ( एकांन्त  मे)                ८/१२/२०२०

गुरु का दरबार

सब  कार्य  छोड़कर  भी  पहले    साधकों  को  समय  देता  था।  मेरा  भाव  यह  था, "मेरा  घर,   केवल  घर  नही  है, यह  तो     ❛ गुरु  का  दरबार ❜ है।"   यहाँ  कोई  भी, कभी  भी    आ सकता है।  जो  साधक   आया है,  वह  गुरु  की  इच्छा     से  आया  है,  क्योंकि  गुरु    की  इच्छा  के  बगैर  हमारे   यहाँ  कोई  नही  आ  सकता है। ◎━━━━━◎✧◎━━━━━◎  श्री शिवकृपानंदजी स्वामी    हिमालय का समर्पण योग           भाग ५, पृष्ठ ११८ ◎━━━━━◎✧◎━━━━━◎          

🌺🌺🌺माया🌺🌺🌺🌺🌺🌺

जिवन को हमे सुखी करना है या दुखी करना है ,यह सब कुछ हमारे हाथ मे है । आप जिवन मे जितना अनावश्यक अटैचमेन्ट रखोगे ,आप उतने ही दुःखी होते जाओगे । आप जिवन मे जितने डिटेच होते जाओगे आप उतने ही सुखी होते जाओगे । अनावश्यक अटेचमेंट से डिटेच होना सब समपेण ध्यान संस्कार से संभव है । आप २३ डिसेम्बर से ३० डिसेम्बर होने वाले महाशिबीर मे ऑनलाईन लाईन “ गुरूतत्व”यु ट्युब चेनल जुडीये और स्वयम् ही अनुभव करके देखिये । आप सभी को खुब खुब आशिर्वाद                    आपका अपना                     बाबा स्वामी                  ( एकांन्त मे )                ७/१२/२०२०🌺🌺🌺