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Showing posts from April, 2017

आत्मधार्म

एक अंतिम पड़ाव पर पहुँचकर धर्म के बंभन से आत्मा मुक्त हो जाती है ।क्योकि आत्मा का एकही धर्म है " आत्मधार्म "बस ,वही बाकी रह जाता है । ही..का..स..योग [ ५ ]

अब आवश्यकता उस पूर्ण समर्पण स्थिति की है

 अब   आवश्यकता   उस   पूर्ण   समर्पण   स्थिति   की   है ,  जिस   स्थिति   मे   जाकर   गुरुशक्ति   का   जिवंत   सानिध्य   प्राप्त   किया   जाए ।  क्योकि   संशय   की   स्थिति ,  नकारात्मक   भाव ,  अश्रद्धा   हमे   वहाँ   भी   कुछ   ग्रहण   करने   नही   देगी ।  आप   जितनी   श्रद्धा   से ,  जितने   भाव   से   जाएँगे ,  उतनीही   आपके   चित्त   की   ग्रहण   करने   की   स्थिति   अच्छी   होगी ।  आप   इस   स्थान    पर   जाने   की   जल्दी   न   करे ।  आप   पहले   ध्यान   करे ,  अपने   चित्त   को   शुद्ध   करे ।  आप   गूरूकार्य   करके   भी   अपने   चित्त   को   शुद्ध   कर   सकते   है ।  लेकिन   गूरूकार्य   जो   गहराई   है ,  उसे   समझ   कर   गुरुकार्य   किया   जाए । - - - - - - - - - - - - - - - परमपूज्य गुरुदेव [ आध्यात्मिक सत्य ]    

गुरु ने जो मार्ग बताया है

गुरु   ने   जो   मार्ग   बताया   है , वह   मार्ग   अगर   अपनाओगे   तो   वह   मार्ग   ऊपर   तक   तुम्हे   ले   जाएगा ।..... ही..का..स..योग [ ५ ]

वैचारिक प्रदुषण

वैचारिक प्रदुषण की बीमारी गुप्त हे । लेकिन यह वैचारिक प्रदुषण से होनेवाली हानि छुपी हिई हे । इसलिए इस और ध्यान ही नहीं दिया गया हे । लेकिन एक समय एइसा आएगा जब वैचारिक प्रदुषण से दिल की बीमारी छूत की बीमारी जैसे फेलेगी क्यूंकि वैचारिक प्रदुषण से अशांति बढ़ेगी और असंतुलन रक्तचाप की बीमारी को जन्म देगा । यह सब भविष्य में होनेवाला हे । अगर इन सबसे हमें बचना हे तो हमें प्रकृति की गोद में ही वापस जाना होगा । 🌺प.पु.श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌺

अक्षय तृतीया का वीषेष संन्देश

अक्षय तृतीया का वीषेष संन्देश पती पत्नी को सबसे अधीक प्रेम करता है लेकीन तबभी वह सब से अधीक दुरव्यवहार भी पत्नी से ही करता है ऐसा क्यो आत्मचींन्तन करे                    बाबा स्वामी                २८/४/२०१७ कल के संन्देश का उत्तर है यह मन का भाव है जोशरीर से अधीक सुख प्राप्त करता है वह शरीर से दुख भी अधीक प्राप्त करता है घडी के पडुलम जैसी स्थीती है जो जीसे प्रेम अधीक करता है वह उसीसे गुस्सा भी अधीक करता है                        बाबा स्वामी