अब आवश्यकता उस पूर्ण समर्पण स्थिति की है , जिस स्थिति मे जाकर गुरुशक्ति का जिवंत सानिध्य प्राप्त किया जाए । क्योकि संशय की स्थिति , नकारात्मक भाव , अश्रद्धा हमे वहाँ भी कुछ ग्रहण करने नही देगी । आप जितनी श्रद्धा से , जितने भाव से जाएँगे , उतनीही आपके चित्त की ग्रहण करने की स्थिति अच्छी होगी । आप इस स्थान पर जाने की जल्दी न करे । आप पहले ध्यान करे , अपने चित्त को शुद्ध करे । आप गूरूकार्य करके भी अपने चित्त को शुद्ध कर सकते है । लेकिन गूरूकार्य जो गहराई है , उसे समझ कर गुरुकार्य किया जाए । - - - - - - - - - - - - - - - परमपूज्य गुरुदेव [ आध्यात्मिक सत्य ]