अब आवश्यकता उस पूर्ण समर्पण स्थिति की है

 अब   आवश्यकता   उस   पूर्ण   समर्पण   स्थिति   की   है ,  जिस   स्थिति   मे   जाकर   गुरुशक्ति   का   जिवंत   सानिध्य   प्राप्त   किया   जाए ।  क्योकि   संशय   की   स्थिति ,  नकारात्मक   भाव ,  अश्रद्धा   हमे   वहाँ   भी   कुछ   ग्रहण   करने   नही   देगी ।  आप   जितनी   श्रद्धा   से ,  जितने   भाव   से   जाएँगे ,  उतनीही   आपके   चित्त   की   ग्रहण   करने   की   स्थिति   अच्छी   होगी ।  आप   इस   स्थान    पर   जाने   की   जल्दी   न   करे ।  आप   पहले   ध्यान   करे ,  अपने   चित्त   को   शुद्ध   करे ।  आप   गूरूकार्य   करके   भी   अपने   चित्त   को   शुद्ध   कर   सकते   है ।  लेकिन   गूरूकार्य   जो   गहराई   है ,  उसे   समझ   कर   गुरुकार्य   किया   जाए ।
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परमपूज्य गुरुदेव
[ आध्यात्मिक सत्य ]    

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