समर्पण ध्यान अनुभूती पर आधारित है। ईश्वरीय अनुभूती ईश्वरीय कृपा है, वह बस हो जाती है। और इस प्रकार से गुरुकृपा में जो ईश्वरीय अनुभूती प्राप्त हुई है , वह केवल गुरुकृपा है , व...
पत्रकार-प्रश्न 24 : योग और ध्यान में क्या फर्क है ? स्वामीजी : योगासन रहते हैं, वे शरीर तक सीमित होते हैं | आगे फिर चित्त की एकाग्रता...ध्यान है ही ना ! योगासनों से शरीर तक थोड़ी फिजिक...
समर्पण ध्यान योग इसमें अपने ही आत्मा को अपना ही पूर्ण समर्पण गुरु के माध्यम से करना होता है। अपने शरीर का समर्पण अपने ही आत्मा के सामने करना है, लेकिन माध्यम गुरु के समक्ष ऐ...
मन अलग है और चित्त अलग है। मन विचार करता है , मन के कारण आपके मन मे विचार आते हैं और चित्त यात्रा करता हैं , वो दूर जा करके वहाँ का दृश्य आपको दिखाने लगेगा , इसका कार्य चित्त करता ह...
પ્રશ્ન 5 : ગુરુની શું આવશ્યકતા છે ? સ્વામીજી : ગુરુની આવશ્યક્તા ન હોત તો શાળાઓની પણ આવશ્યક્તા ન હતી. બધા પુસ્તકો ખરીદીને વાંચી લેત. પુસ્તકો દ્વારા ઓળખવાની સમજ તો આવી શકે છે, પરં...
जब हम सतत साधना करते हैं तो हमारी आत्मा एक ओर हमारे ऊपर नियंत्रण करती है तो वहीं दूसरी ओर वह गुरु की आत्मा के साथ जुडी होती है और इस प्रकार से हमारे शरीर तक वह, वे बातें पहुँचात...
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