समर्पण ध्यान योग
समर्पण ध्यान योग इसमें अपने ही आत्मा को अपना ही पूर्ण समर्पण गुरु के माध्यम से करना होता है। अपने शरीर का समर्पण अपने ही आत्मा के सामने करना है, लेकिन माध्यम गुरु के समक्ष ऐसा इसलिए करना है, क्योंकि जिस प्रकार हम अपने ही शरीर को चाहें तो भी नहीं देख सकते हैं, इसलिए दाढी करते समय आईना देखते हैं। ठीक वैसे ही शरीर का समर्पण आत्मा को करते समय भी हम अपनी आत्मा को नहीं देख सकते, तो हम गुरु के भीतर ही अपनी आत्मा को देख पाते हैं।
हि.स.यो.६/३६७
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