योग और ध्यान में क्या फर्क है ?

पत्रकार-प्रश्न 24 :  योग और ध्यान में क्या फर्क है ?

स्वामीजी : योगासन रहते हैं, वे शरीर तक सीमित होते हैं | आगे फिर चित्त की एकाग्रता...ध्यान है ही ना ! योगासनों से शरीर तक थोड़ी फिजिकल फिटनेस (तंदुरुस्ती)आ जाएगी | जैसे एक बार एक योगा टीचर (योग शिक्षक) आए | वे मुझे आड़े-टेढ़े, बहुत सुंदर-सुंदर योगासन करके दिखा रहे थे | मैं पूरा देख रहा था | लेकिन बाद में मेरे हिसाब से उनके चक्र खराब थे |  उसके बाद मैं उनके प्रिंसिपल से मिला कि यह आपका जो स्टूडेंट (छात्र) था, वह सब आसनों को दिखा रहा था, लेकिन मेरे हिसाब से उसके चक्र अच्छे नहीं थे | ऐसा क्यों ? उन्होंने कहा, "स्वामीजी, वह सिर्फ शरीर से कर रहा था ना, चित्त तो विचारों में ही था !"  यानी योगासनों से फिजिकल फिटनेस आ सकती है,  लेकिन मेंटल फिटनेस (मानसिक स्वास्थ्य) आएगी, यह जरूरी नहीं है | लेकिन ध्यान से फिजिकल फिटनेस भी आएगी और मेंटल फिटनेस भी आएगी | दोनों आएंगे | और योगासनों का आखिरी स्टेप (चरण) ध्यान है ही ना !

मधुचैतन्य : अप्रैल,मई,जून - 2008

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