✿ नवयुग की ओर ✿
✿ आप थोड़ा सोचो! केवल पढ़ना , नौकरी या व्यवसाय करना , शादी करना , अपने बच्चों को जन्म देना , बूढ़े होना होना और बाद में अंत , मर जाना! क्या हमने इसी के लिए जन्म लिया है , क्या यही हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है ? नहीं !
✿ हमने जो शरीर धारण किया है , यह सब उस शरीर के जीवन चक्र का केवल अंग मात्र है। लेकिन हमने शरीर धारण किया है , हम शरीर नहीं हैं। 'हम शरीर नहीं हैं' तो फिर यह 'जीवन चक्र' भी हमारा कैसे हो सकता है?
✿ आप सामान्य बच्चे नहीं हो , आत्मसाक्षात्कारी बच्चे हो! तो आपके जीवन का उद्देश्य भी सामान्य नहीं हो सकता है। आपके जीवन का उद्देश्य 'कर्ममुक्त अवस्था' को पाना है।
✿ वह अवस्था आपको आपके जीवनकाल में ही प्राप्त करना है , उसे ही 'मोक्ष' का स्थिति कहते हैं।
✿ वह प्राप्त होने पर आप कार्य करते नहीं हो , आपसे कार्य होता है। आपके हाथों से विश्व की 'मनुष्यता' को जोड़ने का - वह मनुष्यता को जगाने का कार्य होने वाला है।
✿ 'मोक्ष' की स्थिति पाना ही आपके जन्म लेने क एकमात्र उद्देश्य हैं।
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श्री शिवकृपानन्द स्वामीजी
गहन ध्यान अनुष्ठान संदेश-२०२०,
पृष्ठ : १३
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