◆ चित्त से गुरु कार्य ◆
◆ अगर आपकी स्थिती गुरुकार्य करने की नही है, तो चित्तसे गुरुकार्य करो। यानी सदैव गुरुकार्य विकसित हो इसलिये प्रार्थना करो, तो भी गुरुशक्तियां किसी और सशक्त माध्यम से वो कार्य करा लेंगी या आपको ही इतनी शक्ती और सामर्थ्य देंगी की आपसे हि गुरुकार्य घटित हो जाये।
◆ आपके जेब में एक रुपया भी नही हो और आप सौ रुपये का गुरुकार्य करने कि ईच्छा रखते हो तो आप के जेब में सौ रुपये आ जायेंगे, यह मेरा अनुभव है।
◆ सदैव बडा सोचो तो बडा होगा। अब क्या कहु? आप सभी कि सोच खूब खूब बडी हो यही प्रभूसे प्रार्थना है।
◆ आप सभी को खूब खूब आशीर्वाद।
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श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
गहन ध्यान अनुष्ठान 2012
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