युवाशक्ति और चित्त

•• मेरे जीवन में आध्यात्मिकता की नींव 'पवित्रता' से रखी गई है। अपने चित्त को पवित्र रखे, तो मन और शरीर भी पवित्र होगा। मैंने मेरे जीवन में जो भी पाया, वह सब पवित्र चित्त के कारण ही हो सका।

•• चित्त पवित्र रखने के लिए मुझे प्रार्थना करें, मेरी सामूहिक शक्ति के सामने रोए, गिड़गिड़ाए; यह रोना और गिड़गिड़ाना आपके भीतर के 'मैं' के अहंकार को चूरचूर कर देगा। और आपका चित्त शुद्ध हो जाएगा, आप स्वयं भी हलका महसूस करेंगे। गुरुचरण पर चित्त रखकर की गई प्रार्थना ही चित्त को शुद्ध कर सकती है।

- परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
- युवाशक्ति और चित्त - २००८

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