समर्पण

•• 'समर्पण' प्रतिदिन करने की आवश्यकता होती है।
•• क्योंकि हमारे आसपास के बुरे विचारों से हमारे समर्पण के भाव पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
•• 'समर्पण' तो आत्मा का शुद्ध भाव है , उसकी शुद्धता सदैव बनी रहनी आवश्यक है।

- परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
- हिमालय का समर्पण योग - भाग ४

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