चित्त

•• एक व्यक्ति के ऊपर अगर हम उसके दोषों के ऊपर से चित्त निकालकर उसकी शुद्धता , उसकी पवित्रता की तरफ ध्यान दे तो एक अभ्यास हमारा हो जाएगा और वह अभ्यास करते-करते वह हमारा स्वभाव बन जाएगा।
•• जब चित्त अच्छाइयों पर जाएगा तो आपके भीतर भी अच्छाइयाँ आनी शुरू हो जाएगी।

- परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
- गुरुपूर्णिमा महोत्सव २०१२

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी