गुरु तक पहुँचने से पहले का जीवन व्यर्थ
🔹गुरु तक पहुँचने से पहले का जीवन व्यर्थ रहता है।
🔹गुरु मिलने के बाद ही हमारा आध्यात्मिक जीवन प्रारंभ होता है।
🔹सद्गुरु के प्रवचन पहले सुनने चाहिए , फिर मनन करना चाहिए , फिर सोचना चाहिए , फिर ध्यान करना चाहिए और अंत में गुरुकार्य में लग जाना चाहिए। समर्पण ध्यान के प्रसाद को अधिक से अधिक लोगों में बाँटना चाहिए।
- परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
- स्त्रोत : दर्शन शिविर - राजपीपला
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