परमात्मा के अलावा कहीं भी जुड़ोगे तो वही दुःख का कारण होगा।

आप कहीं भी हो , किसी के साथ भी हो,
किसी भी स्थान पर हो लेकिन चित्त से.,
'सद्गुरु' के माध्यम से., परमात्मा के साथ रहो। विश्वचेतना के साथ रहो तो जीवन कब बीत गया उसका एहसास
भी नहीं होगा। 'परमात्मा 'के अलावा
कहीं भी जुड़ोगे तो वही दुःख का कारण होगा। क्योंकि सभी अशाश्वत है।
केवल परमात्मा ही शाश्वत है।
'सद्गुरु' को पकड़ो मत। उसे सीढ़ी बनाओ और परमात्मा तक पहूँचो।
"सद्गुरु" माध्यम है। "सद्गुरु" परमात्मा नहीं है। पर "सद्गुरु" के  बिना  परमात्मा की प्राप्ति असंभव है।
   आप सभी को परमात्मा की प्राप्ति हो
       इसी शुद्ध इच्छा के साथ.......

         ~ बाबा स्वामी

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