गुरुलोक

शिखर  पर  पहुँचे  हुए  लोगों  का  गुरुलोक  एक  अलग  ही  विश्व  है । जब  तक  आप  अपने  धर्म  के  मार्ग  से  मुक्त  नही  होते  हमे  उन  गुरुओं  की  सहायता  प्रवेश  के  लिए  प्राप्त  नही  होती  है । एक  अंतिम  पड़ाव  पर  पहुँचकर  धर्म  के  बंधन  से  भी  आत्मा  मुक्त  हो  जाती  है । क्योंकि  आत्मा  का  एक  ही  धर्म  है  वह  है  " आत्मधर्म " ! बस , वही  बाकी  रह  जाता  है । हमने  शरीर  से  जिस  धर्म  में  जन्म  लिया  उस  धर्म  के  बंधन  से  भी हम  मुक्त हो  जाते  है । यानी  धर्म  के  ऊपर  उठ  जाते  है । क्योंकि  रास्ता  समाप्त  हो चुका  होता  है  और  शिखर  आ  चुका  होता  है ।

हिमालय का समर्पण योग
भाग ५, पृष्ठ ४१६

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