चितशक्ति का युग
आने वाला युग , आनेवाला समय चितशक्ति का युग होगा और चितशक्ति के युग मैं अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए , सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक चितशक्ति की आवश्यकता होगी ।
भविष्य की संभावनाएँ देखते हुए , भविष्य की आवश्यकताएँ देखते हुए समाज को एक दिशा देने का , समाज को एक मार्ग देने का प्रयास हम लोग कर रहे है और इस प्रयास में सफल होने के लिए आवश्यक हैं आप दो बातों का ध्यान रखें -- एक तो सतत अच्छा कार्य करना ।सतत अच्छा कार्य से मेरा आशय केवल शारीरिक कर्म सें नहीं हैं, शारीरिक क्रियाओं सें नही हैं , शारीरिक कार्य से नहीं हैं ।
सतत चित से भी अच्छा करने का !
अब सतत चित से अच्छा करना यानी क्या ? सतत चित से अच्छा कार्य करना यानी सबके बारे मैं अच्छा सौचना , सब के प्रति आपके मन में अच्छा भाव रखना । आपके अनुकूल या आपके प्रतिकूल कैसी भी परिस्थितियाँ हों , दोनों हीं परिस्थिति मैं अपना संतुलन बनाए रखना और कोई भी व्यक्ति आपसे कैसा भी बर्ताव करे , आपके मन मैं उसके प्रति ईर्षा , आपके मन मैं उसके प्रति दुर्भावना नहीं आनी चाहिए क्योंकि ये दोष आने से आपका चित दूषित हो जाएगा ।
सदैव आपका चित पवित्र बना रहना चाहिए , सदैव चित शुद्ध बना रहना चाहिए , सदैव चित सकारात्मक बना रहना चाहिए ।
और दुसरा , सदैव निस्वार्थ भाव से कार्य करना चाहिए । अगर यें दो बातें आप जीवन मैं पकड़ लैतैं हो तो आपका जीवन भी मेरे ही जैसा तृप्त , समृद्ध , संतुष्ट , समाधानी हो सकता हैं ।
--- पूज्य गुरुदेव का प्रवचन
" धर्मशाला "
आचार्य वार्षिक स्नेह सम्मेलन
20 मई 2008
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