चित्त

अपना  चित्त  बढ़ती  हुई  चीज़  पर  होना  चाहिए  तो  अपना  चित्त  विकसित  होता  है । आप  अपने  आत्मीय  संबंध  बढ़ाओ  तो  सब  विकसित  होता  चला  जाएगा ।

- बाबा स्वामी

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