आशीर्वाद
*"प्रत्येक "स्त्री" शक्ति का स्वरुप है, आप प्रत्येक "स्त्री" में उस शक्ति के दर्शन करो,* "अरे बाबा पत्नी भी क्षणभर की प्रेयसी व्h. अनंतकाल की माता ही होती है l" स्त्री से पवित्र सम्बंध बनाओ और *माँ से पवित्र कोई सम्बंध इस दुनिया में नहीं है l*
आप 45 दिन करके तो देखो *प्रत्येक स्त्री में "माँ कुंडलिनी" नज़र आयेगी,* जब यह दर्शन में कर सकता हूँ तो आप क्यों नहीं ? *स्त्री का शरीर शक्ति का सुचालक है,* वह शक्ति केवल ग्रहण ही नहीं करता संझौता है, निर्माण करता है और प्रसारित करता है l स्त्री शक्ति पर रखी गई तुम्हारी अच्छी या बुरी दृष्टि तुम्हे बना या बिगाड़ सकती है l
स्त्री शक्ति स्वरूपा थी, है, और रहेगी l *"बांटना स्त्री का मूल स्वभाव है",* वह खाने से ज्यादा परोसने में ही आनंद प्राप्त करती है, यह प्रत्येक स्त्री में नैसर्गिक रूप से होता है l
*सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी*
*गहन ध्यान अनुष्ठान 2008*
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