गुरुदक्षिणा
_*प्रत्येक शिष्य को 'गुरुदक्षिणा' में अपने आपको पूर्ण समर्पित करना होता
है और अपने आपको समर्पित करने के लिए कोई शिष्या फूल का, कोई शिष्या फल का,
कोई शिष्या जल का, कोई शिष्य आतमधन का सहारा लेता है। यानी कोई पुष्प को
गुरुचरण पर रखकर पुष्प को गुरुदक्षिणा में देवदेटे है। तो कोई फल को
गुरुदक्षिणा में देकर आत्मसमर्पण कर्तर है। कोई अपनी आत्मा को ही
गुरुदक्षिणा में दे देता है। यानी शिष्य अपनी इच्छा अनुसार गुरुदक्षिणा
देता है।*_
_* जय बाबा स्वामी*_
🌺🙏🏻🌺
* HSY. 1 pg 352*_
_* जय बाबा स्वामी*_
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* HSY. 1 pg 352*_
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