दान
सत्य  अर्थ  में  दान  वही  है  जो  निष्काम  भाव  से  किया  जाएँ । " 
मैने दान दिया " यह  भाव  आगे  जाकर  अहंकार  को  जगाता  है । " दान दिया "
 यह  भाव  हमे  कर्म  बंधन  में  भी  बांधता  है । जिस  प्रकार  बादल , 
धरती , सूर्य , नदियाँ  तथा  प्रक्रुती  से  दान  प्राप्त  कर  हम  जीवन  
जीते  है  वैसे  ही  निष्काम  भाव  से  किया  श्रम , दान , ज्ञान दान , समय
  दान , धन  दान , सेवा  दान  ही  सत्य  अर्थ  में  दान  है ।
प.पूज्या...गुरुमाँ
मधूचैतन्य...
फरवरी...२०१७
प.पूज्या...गुरुमाँ
मधूचैतन्य...
फरवरी...२०१७
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