शरीर सबकुछ लगता है, पर सबकुछ है नही
यह शरीर सबकुछ लगता है, पर सबकुछ है नही । और जो सबकुछ है , वह कुछ भी नहीं
लगता है। यानि जो है, वह है नहीं । और जो नहीं है, वही सबकुछ है। हमारे
शरीर से ही सारे आध्यात्म को समझा जा सकता है । एक आत्मा को समझ लें तो
परमात्मा को जाना जा सकता है।
भाग-१ -५५
भाग-१ -५५
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