स्वामि जी घ्यान की प्रगती के लिये क्या क्या करना चाहीये और क्या क्या नही करना चाहीये? मार्ग दर्शन किजीये
Most Important Question Asked in GP 2002 You all Must Read this .
Q.1. स्वामि जी घ्यान की प्रगती के लिये क्या क्या करना चाहीये और क्या क्या नही करना चाहीये? मार्ग दर्शन किजीये ......
Ans. 1) सुबह जल्द उठ्ना चाहिये और नहा के ध्यान मे बेठ्ना चाहिये क्योकी सुबह के समय कम लोग जल्द उठ्ते है जीससे वातावरन मे वीचार नही या कम होते है तो ध्यान की एक अच्छी अवस्था प्राप्त हो सकती है । सुबह का ध्यान सर्व श्रेस्ट सबसे अच्छा होता है तब वातावरन मे वैचारीक प्रदुषन नही रहेता ।
2) ध्यान करते समय आप के शरीर पर कोई रब्बर, लास्टीक, बेल्ट, पर्श इत्यादी नही होना चाहीये खास करके चड्डीयो मे लास्टीक होते है या कोइ गाठ होती है ये आप के ओरा को, आभामंडल को बाधता है एवं वस्त्र बिलकुल ढीले होने चाहिए ।
3) आप दुसरे की कोइभी चीज इस्तमाल ना करे आप के घर के सदस्य की भी नही वो चाहे कोइ चीज हो वस्त्र हो चप्पल , टोवेल, बेल्ट, चस्मा, टोपी, घडी, कंगी जीतना आप अपने को शुध्ध पवीत्र रखेंगे उतनाही ध्यान मार्ग के लीये अच्छा रहेगा ।
4) अपने पेर के तलवे हमेसा स्वच्छ रखे. ये अत्याधीक पृथ्वी के सनीध्य मे आता है । वो जीतना नरम, मुलायम और अच्छा होगा उतना ही संवेदनशील होगा और जीतना संवेदनशील होगा आपके दोष पृथ्वी मे आसानी से पहोचा सकता है ।
5) जीवन मे हंमेसा संतोष का भाव रखीये अगर हमने कीसी चीज की कामना की और उसे पुरा होने मे अगर समय लग जाता है तो बाद मे कामना करना ही स्वभाव बन जाता है पहेली चीज तो प्राप्त हो जाती है लेकीन कामना के स्वभाव के कारन दुसरी कामना (इच्छा) खडी हो जाती है और एसे आप के अंदर अतृप्ती का भाव बन जाता है इस लीये मीला तोभी ठीक ना मीला तोभी ठीक आप इच्छा मत करो की मीलना ही चाहीये ।
6) कुछ लोगो को आदत रहेती है चिंता करने की उनके घर मे कोइ चिंता नही होती तब भी वो स्वभाव की वजह से कही से भी चिंता खोज नीकालते है ।
7) कोइ भी चीज (नासवान) सास्वत नही है उनकी इच्छा करने से हंमेशा अतृप्ती का भाव ला सकता है तो मांग ना ही है तो परमात्मा का चैतन्य , (Vibration) मांगो ये सास्वत है, कभी ना मीटने वाली शक्ती (पावर) है ।
8) रोज आपने सत्रु की उन्नती, प्रगति के लिये प्राथॅना करो । आपकी स्थिती बराबर सुधर जायेगी और प्राथॅना , कामना करने से एक दीन साक्षात कामना हो जायेगी और वो आपके आज्ञा चक्र से कब नीकल जायेगा पता ही नही चलेगा ।
9) रात को जल्द सोना चाहीये (10 PM to 4 AM this is good time for naturally healing of body) । कुछ लोगो को रात को देर तक नींद नही आती ओर प्रयास करते रहेते है तब सीर्फ एक ही प्राथॅना करो की “स्वामी जी मुजे नींद नही आ रही है क्रुपया नींद लाने की कृपा करे” एसा 3 बार प्राथॅना करने मात्र से आप चोथी बार बोल ने के लायक ही नही रहोगे और आप को नींद आने लगेगी ।
10) कुछ लोग ध्यान करने के लीये शांत स्थान खोजते रहेते है ओर घर को छोड के दुसरो के घर पर जाते है लेकीन दुसरो का घर साफ करने से आप का घर साफ हो सकता है क्या ? तो हमे हमरा घर खुद को ही साफ करना पडेगा चाहे कीतना भी गंदा क्यु ना हो बुरा क्यो ना हो, अगर आप एक बार कीतनी भी आपत्ती (Disturbance) मे भी ध्यान करना सीख जाओगे तो आप कहीभी ध्यान कर सकते हो दुसरा ये की जब आप अपने घर मे ध्यान करोगे तो आप के अन्दर से जो उर्जा , वाइब्रेसन नीकलेगी वो सारे घर मे प्रसार होगी ओर आपके घर के सदस्य तो क्या आप के पडोसी भी “समरपन ध्यान” मे जुड जायेंगे ।
Q.1. स्वामि जी घ्यान की प्रगती के लिये क्या क्या करना चाहीये और क्या क्या नही करना चाहीये? मार्ग दर्शन किजीये ......
Ans. 1) सुबह जल्द उठ्ना चाहिये और नहा के ध्यान मे बेठ्ना चाहिये क्योकी सुबह के समय कम लोग जल्द उठ्ते है जीससे वातावरन मे वीचार नही या कम होते है तो ध्यान की एक अच्छी अवस्था प्राप्त हो सकती है । सुबह का ध्यान सर्व श्रेस्ट सबसे अच्छा होता है तब वातावरन मे वैचारीक प्रदुषन नही रहेता ।
2) ध्यान करते समय आप के शरीर पर कोई रब्बर, लास्टीक, बेल्ट, पर्श इत्यादी नही होना चाहीये खास करके चड्डीयो मे लास्टीक होते है या कोइ गाठ होती है ये आप के ओरा को, आभामंडल को बाधता है एवं वस्त्र बिलकुल ढीले होने चाहिए ।
3) आप दुसरे की कोइभी चीज इस्तमाल ना करे आप के घर के सदस्य की भी नही वो चाहे कोइ चीज हो वस्त्र हो चप्पल , टोवेल, बेल्ट, चस्मा, टोपी, घडी, कंगी जीतना आप अपने को शुध्ध पवीत्र रखेंगे उतनाही ध्यान मार्ग के लीये अच्छा रहेगा ।
4) अपने पेर के तलवे हमेसा स्वच्छ रखे. ये अत्याधीक पृथ्वी के सनीध्य मे आता है । वो जीतना नरम, मुलायम और अच्छा होगा उतना ही संवेदनशील होगा और जीतना संवेदनशील होगा आपके दोष पृथ्वी मे आसानी से पहोचा सकता है ।
5) जीवन मे हंमेसा संतोष का भाव रखीये अगर हमने कीसी चीज की कामना की और उसे पुरा होने मे अगर समय लग जाता है तो बाद मे कामना करना ही स्वभाव बन जाता है पहेली चीज तो प्राप्त हो जाती है लेकीन कामना के स्वभाव के कारन दुसरी कामना (इच्छा) खडी हो जाती है और एसे आप के अंदर अतृप्ती का भाव बन जाता है इस लीये मीला तोभी ठीक ना मीला तोभी ठीक आप इच्छा मत करो की मीलना ही चाहीये ।
6) कुछ लोगो को आदत रहेती है चिंता करने की उनके घर मे कोइ चिंता नही होती तब भी वो स्वभाव की वजह से कही से भी चिंता खोज नीकालते है ।
7) कोइ भी चीज (नासवान) सास्वत नही है उनकी इच्छा करने से हंमेशा अतृप्ती का भाव ला सकता है तो मांग ना ही है तो परमात्मा का चैतन्य , (Vibration) मांगो ये सास्वत है, कभी ना मीटने वाली शक्ती (पावर) है ।
8) रोज आपने सत्रु की उन्नती, प्रगति के लिये प्राथॅना करो । आपकी स्थिती बराबर सुधर जायेगी और प्राथॅना , कामना करने से एक दीन साक्षात कामना हो जायेगी और वो आपके आज्ञा चक्र से कब नीकल जायेगा पता ही नही चलेगा ।
9) रात को जल्द सोना चाहीये (10 PM to 4 AM this is good time for naturally healing of body) । कुछ लोगो को रात को देर तक नींद नही आती ओर प्रयास करते रहेते है तब सीर्फ एक ही प्राथॅना करो की “स्वामी जी मुजे नींद नही आ रही है क्रुपया नींद लाने की कृपा करे” एसा 3 बार प्राथॅना करने मात्र से आप चोथी बार बोल ने के लायक ही नही रहोगे और आप को नींद आने लगेगी ।
10) कुछ लोग ध्यान करने के लीये शांत स्थान खोजते रहेते है ओर घर को छोड के दुसरो के घर पर जाते है लेकीन दुसरो का घर साफ करने से आप का घर साफ हो सकता है क्या ? तो हमे हमरा घर खुद को ही साफ करना पडेगा चाहे कीतना भी गंदा क्यु ना हो बुरा क्यो ना हो, अगर आप एक बार कीतनी भी आपत्ती (Disturbance) मे भी ध्यान करना सीख जाओगे तो आप कहीभी ध्यान कर सकते हो दुसरा ये की जब आप अपने घर मे ध्यान करोगे तो आप के अन्दर से जो उर्जा , वाइब्रेसन नीकलेगी वो सारे घर मे प्रसार होगी ओर आपके घर के सदस्य तो क्या आप के पडोसी भी “समरपन ध्यान” मे जुड जायेंगे ।
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