गुरुपूर्णिमा महाशिबीर 2011

पूज्य गुरुदेव का प्रवचन: 14 जुलाई 2011

📍 पिछले12 सालों में आपने जो जो मांगा , सब मिला है। तृप्त हो गये। अब आन्तरिक विकास की आवश्यकता है।आत्मा के विकास की, आत्मा के प्रगति की आवश्यकता है।
‼फॉर्म भरते समय बराबर आपका लक्ष्य निश्चित हो जाना चाहिए कि आपको गुरुपूर्णिमा में जाना है ।

📍जितना उत्साह फॉर्म भरने में है, उतना उत्साह गुरुपौर्णिमा में जाने का भी होना चाहिए ।
‼ अपने स्थान पर पहुंचने के बाद फिर कोई मायना नहीं रहता कि आप कहां से आये, कौन से रास्ते से आये।

📍 यहां पहुंचने के बाद शरीर को धन्यवाद तो दे, चित् को पवित्र करें, और अपने आपको क्षमा करें।
‼कोई भी धार्मिक कार्य में चित् शुद्ध किए बिना वह कार्य सफल नहीं होता।

📍 अपने चित् में 3 दिनों तक कोई नहीं होना चाहिए।
‼ गुरुशक्तियां दया का सागर है, वे आपको क्षमा करेंगे ही।

📍 क्षमा मांग कर अपने आप को शुद्ध करो , अपने आप को पवित्र करो।
‼क्षमा मांगने का अधिकार उसी व्यक्ति को है जो क्षमा कर सके।

📍अनुभूति वह मार्ग है जिससे मोक्ष तक पहुंचा जा सकता है।
‼आपकी एकाग्रता एक जगह रखो, वह लक्ष्य है मोक्ष।

📍अगर आपको मोक्ष पाना है तो आपको अपना अस्तित्व नष्ट करना पड़ेगा।
‼ मोक्ष पाने में नहीं, खोने में है।

📍मोक्ष और मृत्यु का कोई संबंध नहीं है।
‼ जब तक आत्मज्ञान आत्मसात नहीं करते, तब तक दूसरों को पहुंचा नहीं सकते।

📍सारी समस्याओं से मुक्त होकर थोड़ा समय आत्मा के साथ रहो।
‼ अपने आप को शरीर समझा तो आप शरीर है, अपने आप को आत्मा समझा तो आप आत्मा है।

📍आप अपने आपको स्वामी समझो। प्रत्येक साधक में स्वामीजी की अनुभूति करो।
‼ध्यान ही एकमात्र मार्ग है, जिससे मनुष्य को मनुष्य के साथ जोड़ा जा सकता हे।

📍गुरुशक्तियो को स्थायी रूप में यहां कच्छ में स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास हुआ है। सारे कच्छ के साधकों  ने मिलकर सामूहिक प्रयास किया है।
‼जीवन में नियमितता रखो, नियमित ध्यान करो, तो आपको भी आपके जीवन में कोई कठिनाइयां नहीं आयेगी।

📍आप किसी साधक को मिलो तो आपका सारा ध्यान उसमें छुपे हुए स्वामीजी की ओर होना चाहिए।उससे आपका सारा ध्यान स्वामीजी की ओर रहेगा और उसमे भी स्वामीजी का निर्माण होगा।
❗गुरुपूजा एक माध्यम है, जिस माध्यम से एक आत्मीय संबंध निर्माण होता है और वो शरीर से परे है।

📍प्रत्येक साधक ने जीवन में एक बार गुरुपूर्णिमा अटेंड करनी चाहिए।
❗गुरुपूर्णिमा का दिन भाव और भीतरी स्वरूप के प्रगटीकरण का दिन है।

🙏जय बाबा स्वामी🙏
संदर्भ: मधुचैतन्य पत्रिका 2011July , August & September.

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