गुरुपूर्णिमा
•• संपूर्ण सालभर में_, मैं तो गुरुपूर्णिमा के दिन को ही याद रखता हूँ , जब मेरे सभी गुरु मेरे साथ होते हैं।
- उन सभी की सकारात्मक ऊर्जा मुझे प्राप्त होती है_
- उनके 'आशीर्वाद' मुझे प्राप्त होते हैं।
•• हर साल नया 'गुरुकार्य' मिलता है। और वह गुरुकार्य करते समय मैं अपने आपको गुरुओं के 'सानिध्य' मैं पाता हूँ। और गुरुकार्य करने में कब साल चला गया इसका पता भी नहीं चलता है।
•• और दूसरी 'गुरुपूर्णिमा' आ जाती है।
•• और इस प्रकार शरीर से 'गुरुपूर्णिमा' का उत्सव एक ही दिन का होता है , लेकिन मैं 'चित' से तो सालभर 'गुरुपूर्णिमा' का उत्सव ही मनाते रहता हूँ।
•• और यह हो पाता है 'चित' के कारण।
•• तो इसी मेरे अनुभव से कह सकता हूँ की 'गुरुपूर्णिमा का उत्सव' एक दिन का शरीर का , और सालभर का 'चित्त' का उत्सव होता है। और इसलिए सालभर ही चित में एक उत्सव का वातावरण रहता है।
•• आप जिस साल 'गुरुपूर्णिमा' के उत्सव में शामिल हुए , वह साल का अनुभव आप याद करो तो मेरी बात आपके समझ में आ जाएगी। क्योंकि उस उत्सव का प्रभाव सालभर रहता है।
- परमपूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
🌹🌹
स्त्रोत - सानिध्य
पृष्ठ - २५-२६
Comments
Post a Comment