जिंदगी फूल भी है कांटे भी
जिंदगी फूल भी है कांटे भी।
जिंदगी गीत भी है आहे भी।
उस दिन मैं बहोत खुस थी। सुबह ही मा(सास) ने कहा, पास की प्राथमिक शाला में वॉक-इन-इंटरव्यू है। बेटी साक्षात्कार केलिए जा रही है, तुम जाना चाहती हो तो जा सकती हो। पर अनुराग को कौन संभालेगा? अभी तो वाज दो-सवा दो महीने का है। मैन पूछा तो हस्ते हुए उन्होंने कहा। अरे साक्षात्कार तो दो। यदि चुन ली गई तो देखना स्कूल का समय क्या है कितना है?
फिर सहज रूप से संभव हो तो करना वरना मत करना। चार पांच घण्टे तो हैम भी संभाल लेंगे। नोकरी करू या न करू , मेरा कोई निश्चित विचार या योजना नही थी, किन्तु मेरी सासु मा ने मेरे विषय मे सोचा, अपनी बेटी में और मेरे में कोई फर्क नही किया यह मेरे लिए विशेष बात थी।
अनुराग की तेल मालिश और नहलाना भी बाकी था। झटपट थोड़ा तिल का तेल लिया, हल्का गरम किया और गैस पर दो पतीले पानी गरम करने के लिए रखे। चादर बिछा कर बैठ गई, फिरयाद आया कमरे का दरवाजा खुला था, उसे बंद किया। अनुराग को लेकर सामने पैर फैलाकर बैठ गई, पैरो पर अनुराग को लेटाया, उसके कपड़े उतारे और हल्के गरम तेल में हाथ डाला थोड़ा सा तेल पहले धरती माँ को समर्पित किया।
~परम वंदनीय गुरुमा
माँ पुष्प -1
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