गुरु का ऋण
"गुरु के ऋण से.., ना तो कोई मुक्त हुआ है.., और ना होगा..। जिस प्रकार माँ के ऋण से कोई मुक्त नहीं है सकता...ऐसे ही.., गुरु के ऋण से भी कोई.., मुक्त नहीं हो सकता है। पुत्र कभी मां को छोड़ सकता है.., पर- मां कभी भी पुत्र को नहीं छोड़ सकती.. ठीक इसी प्रकार..., शिष्य.., गुरु को छोड़ सकता है..., पर गुरु शिष्य को.., कभी नहीं छोड़ सकता है"।।
~सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
समर्पण ध्यान योग
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