सदगुरु
ये गुरु गहरे कुएँ जैसे होते है अगर आपको प्यास लगी है और आपको पानी चाहिए तो "आपको " ही रस्सी और बाल्टी लेकर उस गहरे कुएँ से पानी निकालना होगा और प्रयत्न नही किया तो पानी दिखेगा पर मिलेगा नही । इस मार्ग में साधक की इच्छाशक्ति ही महत्त्वपूर्ण होती है , आपकी कितनी तीव्र इच्छा है , वह महतवपूर्ण होता है । ये गुरु अपनी ही मस्ती में मस्त रहते है ।
*ही.का.स.योग.*
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