मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ
एक गायक गाते-गाते एक दिन उस परिपक्व स्थिति में पहुँच जाता है और उस गायक का विराट तत्त्व केवल गाते-गाते ही खुल जाता है। और यह चक्र के खुल जाने के बाद उस गायक में यह भाव आ जाता है कि परमात्मा एक है। यह भाव स्थापित जो जाने पर उस गायक को भी अपने गायन में सफलता मिलना प्रारंभ हो जाती है। यह चक्र खराब होने से गले से संबंधित रोग होने लग जाते हैं। मनुष्य के भीतर का संकुचित भाव दूर हो कर एक विशाल भाव यह चक्र खुल जाने पर आता है। मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ यह मंत्र भी आपके विशाल भाव को जागृत करता है।
भाग - ६ - २४०/२४१
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