समर्पण ध्यान का अर्थ

      हमने कितने अर्थ सही अर्थ में लिए है, कितनी बातों को समझा है। तो पहले 'समर्पण ध्यान' को ही समझिए, जो इसका नाम है। 'समर्पण ध्यान' में ही 'समर्पण ध्यान' का अर्थ, 'समर्पण ध्यान' की पध्दति सब कुछ उसी के भीतर है, उसी के अंदर है। सिर्फ सब बातें हम शरीर लेवल (स्तर) पर लेते हैं। इसलिए उसके गूढ़ अर्थ में, उसके भीतर के छिपे हुए अर्थ तक हम नहीं पहुँच पाते है। हमारे पास जो कुछ है उसमे से कुछ भाग देना ये अर्पण हो जाता है। लेकिन साथ में
' मैं ' विद्यमान है ही - ' मैने मेरे पास का ये अर्पण किया। '

बाबा स्वामी
मधुचैतन्य २०१४
          

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