दान का अर्थ
लोगों को अभी भी "दान"का अर्थ ही
पता नहीं है या "दान"का सही अर्थ
ही समझाया गया नहीं है। दान तो जो
मनुष्य जीवनभर पाने की दौड़ में लगा
है उससे हटकर वह कुछ ऐसा कर रहा
है जिससे उसे कुछ भी मिलने वाला नहीं
औऱ कुछ भी पाने की लालच में नहीं कर
रहा है, किसी को दिखाने के लिए 
नहीं कर रहा है। दान करने से एक आत्मिक शांति अनुभव कर रहा है।
जो पाने की दौड़ में लगा है, वह दौड़ 
गलत दिशा में हो रही हैं, यह जानकर
 एक सही दिशा में दौड़
ने लिए अपनी पाने की दौड़ छोड़कर
कुछ न पाने के लिए दे रहा है। ऐसे शुद्ध
भाव के साथ कोई व्यक्त्ति दान करता
है तो वह " दान "
 
मधुचैतन्य 
मई-जून २०१८
पन्ना ०३
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