धर्मशाला
जब तक आप "धर्मशाला "में है , तब तक मैं "घर " नहीं जा सकता । अब निर्णय आपको करने का है । कब तक देहरूपी "धर्मशाला में रहना है , औऱ कब "घर "जाना है ! यह निर्णय मैं पूर्णतः आपके ऊपर सोंपता हूँ औऱ आपके निर्णय से मैं बँधा हुआ हूँ । नमस्कार ।
" धर्मशाला "
पूज्य गुरुदेव
२० मई २००८
दांडी ...........
पूज्य गुरुदेव
२० मई २००८
दांडी ...........
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