पंढरीनाथ
◆ महाराष्ट्र में पंढरपुर गाँव में विठ्ठल-कृष्ण का बहुत बड़ा मंदिर है। जहाँ कृष्ण भगवान की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है। कृष्ण का स्वरूप काले रंग का होने के बावजूद भी उनके भक्त उन्हें पंढरीनाथ (सफेद देव) कह कर बुलाते हैं।
◆ *मूर्ति का रूप काला है , पर भक्त को उनका श्वेतस्वरूप नजर आता है। इसलिए वे पंढरीनाथ कह कर पुकारते हैं* (मराठी भाषा में पांढरा का अर्थ सफेद होता है)।
◆ *भक्त की दृष्टि उनके बाहरी रूप को न देखते हुए उनके भीतरी रूप पर रहती है जो शक्ति का स्त्रोत है। भक्त उस कक्षा में पहुँच जाते हैं कि उनको सिर्फ वह ऊर्जा का स्रोत ही दिखता है।*
◆ भक्त भगवान को चर्मचक्षु से नहीं , पर भीतर की आँख से , जो आत्मा की आँख है उससे देखता है। *आपकी अंदर की आँख जब खुल जाती है तब आपके चर्मचक्षु बंद हो जाते हैं।*
◆ एक बार अगर आपकी भीतर की आँख खुल गई , फिर बाहरी कवच , बाहरी शरीर के दोष हमें दिखते नहीं हैं। बाहरी कवच को देखनेवाली आँख हमें भ्रमित कर सकती है। वे आँख हमें उसका दर्शन कराती है जिसे देखने की हमें कोई आवश्यकता नहीं है।
◆ पर जब हम आँखों को मूँद लेते हैं , तब हमें यथार्थ दर्शन होते हैं , सिर्फ दृष्टि बदल जाती है। *जब आत्मा की आँखे खुल जाती हैं , तब उसके प्रकाश में हमें वह सब दिखता है जो हमें देखना चाहिए।*
*🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹*
*महाशिवरात्रि - १८/२/२००४*
*- समर्पण आश्रम दांडी का भूमिपूजन समारोह*
मधुचैतन्य (पृष्ठ : १७)
जनवरी-फरवरी-मार्च २००४
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