सद्गुरु का जीवन ही एक संदेश

"सद्गुरु का जीवन ही एक संदेश देता है - मेरे शरीर को मत पकड़ो, यह तो नश्वर है । मेरे माध्यम से जो शक्तियाँ बह रही हैं, जो परमात्मा की शक्तियाँ हैं, उन पर ध्यान दो। इसलिए सद्गुरु किसी विशेष रुप के परमात्मा की बात करते रहते हैं या अपने किन्हीं गुरु  की बात करते रहते हैं या अपनी शक्तिवाले सूक्ष्म शरीर की बात करते पाए जाते हैं । यानी वे सदैव एहसास कराते रहते हैं वे केवल माध्यम है।

वास्तव में वे माध्यम हैं भी और नहीं भी । ये दोनों इसलिए  हैं कि शिष्य अगर निचले स्तर पर रहकर शारीरिक स्तर पर देखेगा तो वास्तव में सद्गुरु का शरीर शक्तियों का माध्यम है। *इसलिए सद्गुरु कहते हैं कि वे माध्यम हैं, यह सही है । और गलत इसलिए है कि जब सद्गुरु का स्वयं का अस्तित्व ही नहीं है तो वे परमात्मा के माध्यम कैसे हो सकते हैं? क्योंकि माध्यम का तो अलग अस्तित्व होता है । इसलिए वह माध्यम नहीं है । वही परमात्मा है क्योंकि वह शरीर के स्तर से भी परमात्मा हो गया है।*

संदर्भ:
हिमालय का समर्पण योग- भाग 1, पृष्ठ 297-298

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