गणेश उत्सव
"कई लोग मुझे प्रश्न पूछते है - स्वामीजी , आप गणेश उत्सव क्यों करते हो ? गणपती की पूजा क्यों करते हो ? गणपती क्यों बिठाते हो ? जबकि आप बोलते हो कि परमात्मा हमारे अंदर है।"
"तो कहने का मतलब क्या है ...ये ज्ञान हमको प्राप्त हुआ ना , जैसे पूजा पाठ ये जो प्रायमरी का है , उसके बाद मिडल स्कूल है , उसके बाद में हाईस्कूल है , *ध्यान कॉलेज का ज्ञान है।* लेकिन हम आये है तो प्रायमरी से ही न , तो उसी प्रकार से इन सब मार्गों से , पूजा के माध्यम से , हवन के माध्यम से , जप के माध्यम से धीरे-धीरे , धीरे-धीरे प्रगति करने की। हमारी प्रगति हो गई मतलब सब की प्रगति हो गई ऐसा थोडी ...घर में और भी नये मेम्बर्स आते रहते न , इनकी प्रगति होनी बाकी है। वो धीरे-धीरे जिस मार्ग से हम आये है , उसी मार्ग से धीरे-धीरे आएँँगे।लेकिन क्या बोलते है ...उनके लिए रास्ता खुला रखना पडेगा , ये सब चालु रखना पडेगा , तभी वो आएँँगे न। उनके लिए ये सब कुछ करना पडता है। सबकुछ अपने लिए रहता ऐसा नही। और अपने को मालूम पड गया मतलब सबको मालूम पड गया ऐसा नहीं। बहुत सारे लोग है जो एक-एक प्रश्न को लेकर खोजते रहते है। तो ये सब बाते बार-बार बताते रहा हूँ , वो इसलिए कि आप उन उन लोगों को बताओ , जो लोग खोज रहे है।"
----- *चैतन्य महोत्सव २०१४*
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