अच्छे साधकों की सामुहिकता
जिस प्रकार अच्छे पराग कण अच्छी फ़सल उगने में सहायक होते हैं तथा अच्छे पराग कणों के लिए अच्छे बीजों से उगी फ़सल आवश्यक होती है , उसी प्रकार साधक की प्रगति के लिए उसे अच्छे साधकों की सामुहिकता की आवश्यकता होती है। साधक को चाहिए कि वह जितना संभव हो अच्छे लोगों के बीच रहे क्योंकि जैसे लोगों के बीच रहेगा वैसे ही विचार वह ग्रहण करेगा।
*🌹परम वंदनीय गुरुमाँ🌹*
मधुचैतन्य (पृष्ठ ५)
मार्च-अप्रैल , २०१६
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