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आप अपने पूण्य कर्मों के कारण मेरे तक पहुंचे हो । अब वे समाप्त हो गये है । अब फिर हम जीवन में फिर मिलेंगे या नहीं, इसलिए कहता हूं - अपनी आत्मा को ही गुरु बनाओ तो गुरु के रूप में मैं आपके भीतर ही रहुंगा । जब चाहो, तब आप मुझसे मिल सकते हो । मुझ तक पहुंचना बहुत बड़ा कठीण है क्योंकि मैं शरीर नहीं हु । मैंने शरीर धारण किया है । इसलिए आज पहुंच ही गए हो तो जीवन के इस रहस्य को जान लो और आत्मा के अधीन जीवन जीना प्रारंभ करो । यह सब एकदम नहीं होगा । यह कोई चमत्कार नहीं होगा । आज तो केवल मैंने आपके जीवन को एक नई दिशा दी है । अब अगर इसी दिशा से आप चले तो वहा अपने इसी जीवन में पहुंचोगे, जिस स्थिति को मुक्त अवस्था या 'मोक्ष' कहते हैं । मैंने तो आपको सही दिशा बताने का कार्य किया है। अब मेरा कार्य तो यहां समाप्त होता है। अब आज से आपका कार्य प्रारंभ होगा।
आपका
बाबा स्वामि
HSY - 6/48
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