जड़े
संस्कृति समझें अपनाए
हम मानव अपने-आपको सर्वश्रेष्ठ समझते हैं। किंतु आस्थारूपी जड़े ईश्वर से या सदगुरु से गहराई से नहीं जुड़ी होतीं। इसीलिए बाहरी परिस्थितियों का परिणाम हम पर बहुत जल्दी होता है। छोटी - सी असफलता या शब्दबाणों से हम आहत होते हैं , विचलित हो जाते हैं। यदि हमारा चित्त , हमारा समर्पण परमचैतन्य के प्रति हो , तो बाहरी परिस्थितियों का हम पर कोई परिणाम हो ही नहीं सकता।
आपकी
गुरु माँ
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