आत्मज्ञान पाने का अवसर, मनुष्य को बार-बार नहीं मिलता

   "और मैं- मेरे जीवन में आपका सानिध्य, किसी भी कीमत पर, खोना नहीं चाहती थी.., इसलिए मैंने, गुरुदेव के साथ जाने के लिए सहर्ष स्वीकृति दे दी थी..।

  जीवन में, कई बार परिस्थितियों को देखकर ही, निर्णय लेने पड़ते हैं..। मेरा यह निर्णय भी उसी प्रकार से था..।
दूसरा मुझे लगा कि-          
जीवन में, बाकी सारे अवसर, बार बार.. मिल सकते हैं.., लेकिन ,
आत्मज्ञान पाने का अवसर, मनुष्य को बार-बार नहीं मिलता है"..।।

✍..वंदनीय गुरु मां, स्वामी जी से कहते हुए।

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