मधुचैतन्य के सन्देश

हम जिस प्रकार से अपना घर बनाने के लिए या अपनी लडकी की शादी के लिए या लडके की शिक्षा के लिए धन का संचय करते हैं और उसे ऐसी जगह लगाते हैं जिससे वो अधिक से अधिक बढ़े। जैसे सोने में या शेअर्स में या फंड में , ताकि अपने-अपने भविष्य की आवश्यकताएँ पूर्ण हो सकें। यह सब स्वयं के लिए कुछ नहीं करते हैं।

मैं स्वयं के लिए उस बचत की बात कर रहा हूँ , जो हमारे जीवन के अंतिम क्षण तक हमारे काम में आनेवाली हैं। मेरा आशय , हम अपने स्वयं के लिए , अगर आप अपने-आप को समय नहीं देते , तो आप सबसे अधिक गरीब व्यक्ति हो।

  
~पूज्य गुरुदेव के आशीर्वचन
( सद्गुरु श्री शिवकृपानंद  स्वामीजी )
मधुचैतन्य जनवरी २०१९/३

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