दान से आत्मसमाधान
समर्पण आश्रम जैसी पवित्र स्थली का निर्माण का पूण्यकर्म करने के मौके अधिक से अधिक साधक नही , बल्कि समर्पण परिवार के प्रत्येक साधक को देने का श्री गुरुदेव क प्रयास है , क्योंकि समर्पण आश्रम वह पवित्र स्थली है , जहाँ से हमारे बाद भी कई नै पीढ़ियाँ लाभान्वित होंगी । हमारी भारतीय सस्कृति की प्रकृति से जुड़ने की व आध्यात्मिक सजीव अनुभूति को पाने की कला अगली पीढ़ी तक पहुँचे , यहि श्री गुरुदेव का प्रयास है , यह पवित्र कार्य भी सामूहिकता में संपन्न हो ।*
*आपका*
*बाबा स्वामी*
*"दान से आत्मसमाधान "*
*संदेश से*
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