ऑरा के फोटो से ध्यान में जुड़ना - १
विदेशों के अंदर इसका काफी अध्ययन होता है। अपने यहाँ है ना, जैसे एक साधू को ग्यारह लोग नमस्कार कर रहे हैं तो बारहवाँ देखके ही झुक जाएगा। विदेशों में ऐसा नहीं है। वो भुट्टे जैसे खड़े रहेंगे। जब तक उनको उसका ऑरा दिखेगा नहीं, उसका आभामण्डल दिखा नहीं तब तक झुकेंगे नहीं। बिल्कुल मुड़ेंगे नहीं। मेरे भी ऑरा के चित्र पहले भी दो बार निकाल चुके थे। लेकिन उसके अंदर भी तब्दीली आती रही, बदलाव आते रहे। अभी पिछले साल ही थियोसॉफिकल सोसायटी में लेक्चर हुआ तो उन्होंने कहा, "स्वामीजी आप बोलते हो ना, कि पाँच-पाँच साल बाद लाइसन्स इश्यू करो, हर साल उनका ऑरा देखो, उनका आभामण्डल देखो तो आपका भी तो ऑरा का फोटो पंद्रह साल पुराना है, दस साल पुराना है। आपका अभी का बताओ ना, ऑरा कैसा है, आपका आभामण्डल कैसा है? अभी का फोटो निकालो ना!" (Cont..)
परम पूजनीय सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
समर्पण ग्रंथ - १६०
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:९२
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