जर्मन साधको का २ रिट्रीट का अनुभव
2     रिट्रीट मे कुछ जर्मन साधको ने पुछा की “ मै एक पवीत्र आत्मा हु मै एक शुद्ध आत्मा हु ।”यह हिन्दीं भाषा मे बोले तो ही अधीक अच्छा चैतन्य क्यो महसुस होता है। अन्य कीसी भाषा मे क्यो नही ?
 उन्हे यह उत्तर दिया गया की हिंन्दी
भाषा के साधक संख्या ही सबसे अधीक है । मैने मराठी भाषा मे भी
यह अनुभव लेकर देखा है ।और आप ने जर्मन भाषा मे भी अनुभव लेकर देख लीया है ।इसी लीये सारे जर्मन साधक मंत्र केवल हिंन्दी भाषा मे ही बोलते है ।
              जर्मनी से आपका अपना
                            बाबा स्वामी
                       22/5/2019
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