आधा घण्टा ध्यान
🌹जय बाबा स्वामी🌹
जाति से भेदभाव , धर्म के भेदभाव , देश के भेदभाव , रंग के भेदभाव , लिंग के भेदभाव , कुछ नही | ये सब भेदभाव एटोमँटिकली समाप्त हो जाएगा जब आप मानेंगे कि आप एक पवित्र आत्मा हैं, वैसे ही आप महसूस करो - "मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ "| शुद्ध आत्मा हूँ यानी ? मैं एक शुद्ध आत्मा के अलावा कुछ नहीं हूँ | ना मेरा कोई पद है , ना कोई मेरी शिक्षा है, ना कोई मेरा रिश्तें हैं , ना कोई मेरा समाज है , ना मेरी कोई जाति है , ना देश है , कुछ नहीं है | आप इस स्तर तक पहुंचो, कि आप पुरूष है या स्त्री है इसका भी अहसास आपको नही होना चाहिए | ये शुद्धता का टोप लेवल..... कि स्त्रीयाँ ध्यान करें तो उसके याद नहीं रहना चाहिए कि वो स्त्री है या पुरूष है , पुरूष ध्यान करें तो उसके याद नहीं रहना चाहिए कि वो पुरूष है कि स्त्री है | "मैं शुध्ध आत्मा हूँ "| आत्मा ना स्त्री होता है ना पुरूष होता है | ऐसा तीन बार ....... आप बोलकर के एक आधा घण्टा ध्यान करो | हाँ , दूसरा नियम है - नियमित ध्यान करने का | इसके अंदर एक दिन का भी ब्रेक नहीं होना चाहिए
~आपका अपना बाबास्वामी
मधुचैतन्य मार्च-अप्रैल 2015.
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