सिर्फ साधक बनो

       गुरु  एक  लेवल  से  बोलते  रहता  हैं , शिष्य  एक  लेवल  से  सुनते  रहता  हैं । उसका  अंतराल  सिर्फ  समय  हीं  भर  सकता  हैं । साधक  की -"साधक"- कें  सिवा  कोई  भी  Identity  नहीं  होना  चाहिए । सिर्फ  "साधक " इतना  करने  में  आप  सफल  हो  जाओ । तो  आपके  जीवन  में  कोई  करने  जैसा  नहीं  होगा , आपके  जीवन  में  सब  घटित  हो  जाएगा ।

~आपका अपना बाबास्वामी
    (परम पूजनीय सद्गुरु शिवकृपानंद       
     स्वामीजी )
     गुरुपूर्णिमा 2007

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी