ध्यान और सहनशीलता

आप आत्मसाधना करते हैं तो आपकी मानसिक सहनशीलता भी खूब बढ़ जाती है। कोई लोग आके बोलेंगे तो भी शांत होके आप सून लेते हो। उन बातों का आपके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। आज के जगत में इसकी बहुत आवश्यकता है, बहुत आवश्यकता है। सहनशीलता कम हो रही है, सहनशीलता इसलिए कम हो रही है क्योंकि शरीरभाव बढ़ रहा है, आत्मभाव कम हो रहा है। आत्मा का गुण सहनशीलता है। आज कोई दो बातें सुनने के लिए भी तैयार नहीं है।

~सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी,
महाशिवरात्री,
2016

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