ऑरा के फोटो से ध्यान में जुड़ना
🌿 ऑरा के फोटो से ध्यान में जुड़ना - १ 🌿
विदेशों के अंदर इसका काफी अध्ययन होता है। अपने यहाँ है ना, जैसे एक साधू को ग्यारह लोग नमस्कार कर रहे हैं तो बारहवाँ देखके ही झुक जाएगा। विदेशों में ऐसा नहीं है। वो भुट्टे जैसे खड़े रहेंगे। जब तक उनको उसका ऑरा दिखेगा नहीं, उसका आभामण्डल दिखा नहीं तब तक झुकेंगे नहीं। बिल्कुल मुड़ेंगे नहीं। मेरे भी ऑरा के चित्र पहले भी दो बार निकाल चुके थे। लेकिन उसके अंदर भी तब्दीली आती रही, बदलाव आते रहे। अभी पिछले साल ही थियोसॉफिकल सोसायटी में लेक्चर हुआ तो उन्होंने कहा, "स्वामीजी आप बोलते हो ना, कि पाँच-पाँच साल बाद लाइसन्स इश्यू करो, हर साल उनका ऑरा देखो, उनका आभामण्डल देखो तो आपका भी तो ऑरा का फोटो पंद्रह साल पुराना है, दस साल पुराना है। आपका अभी का बताओ ना, ऑरा कैसा है, आपका आभामण्डल कैसा है? अभी का फोटो निकालो ना!" (Cont..)
परम पूजनीय सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
समर्पण ग्रंथ - १६०
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:९२
🌿 ऑरा के फोटो से ध्यान में जुड़ना - २ 🌿
मैंने कहा, "ठीक है।" बोले, "अगर आपका आभामण्डल अच्छा रहा, आपका ऑरा अच्छा रहा तो हम ध्यान सीखेंगे, हम मेडिटेशन्स सीखेंगे।" मैंने मन में सोचा - मेरा ऑरा मेरे ऑरा का फोटो निकालने से अगर ये ध्यान सीखते हैं तो क्या बुरा है! मैं उनके लिए तैयार हो गया, साथ में उनके जाने को तैयार हो गया। जिंदगी में कभी नहीं बैठा, लंदन कम-से-कम बीस बार गया हूँ लेकिन कभी भी ट्यूब के अंदर नहीं बैठा, उस दिन ट्यूब के अंदर बैठा था। ट्यूब मतलब वहाँ की लोकल ट्रेन। और इतना आश्चर्य हुआ। हम बैठे थे एकदम प्लेन स्टेशन के ऊपर और जब लंदन में उतरे ना, तो मेरे ऊपर नौ स्टेशन थे। माने हम एकदम नीचे के स्टेशन पे उतरे, वहाँ से हर स्टेशन क्रॉस करते-करते नौ स्टेशन पार करके जब लंदन शहर में निकले तो देखा तो वहाँ सब बँक ही बँक का एरिया था। वहाँ छोटा-सा एक डॉक्टर का रूम था। (Cont..)
परम पूजनीय सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
समर्पण ग्रंथ - १६१
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:९२-९३
🌿 ऑरा के फोटो से ध्यान में जुड़ना - ३ 🌿
उस रूम के अंदर आॅरा का फोटोग्राफ लिया गया। जैसे सी.टी. स्कॅन यहाँ करते हैं के नहीं, उस प्रकार से मेरे को एक मशीन पे बिठाया गया और उसपे हाथ रखके आधा घण्टा तक वो मशीन चलती रही, चलती रही, चलती रही। पूरा स्कॅनिंग चलता रहा। और आधे घण्टे के बाद में उसने मेरे को प्रश्न किया, "आप जिंदा कैसे हो ? आप जीवित कैसे हो?" मैंने कहा, "ऐसा क्यों पूछ रहा है?" बोले, "नहीं.. ये ऑरा उसका प्रतीक है जिसका देहभाव पूर्णत: छूट गया है। उसका ये ऐसा ऑरा रहता है, उसका आभामण्डल रहता है।" मैंने कहा, "ये मेरी ध्यान की स्थिति है। मैं ध्यान की स्थिति में चौबीस घण्टे नहीं रहता। मैं नॉर्मल भी रहता हूँ, पर मेरा ऑरा सदैव ऐसा ही रहता है।" तो कहाँ का फायदा कहाँ होता है, देखो। ये रिपोर्टस खुब अच्छी रिपोर्ट बनाई है। पंद्रह-सोलह पेज की रिपोर्ट है पूरी। इतनी अच्छी रिपोर्ट, इतना अच्छा ऑरा का रिपोर्ट कहीं नहीं बना है। (Cont..)
परम पूजनीय सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
समर्पण ग्रंथ - १६२
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:९३-९४
🌿 ऑरा के फोटो से ध्यान में जुड़ना - ४ 🌿
और बनाने के बाद में वो लंका (श्रीलंका) गया था और मैं उसके बाद में लंका पहुँचा। तो वहाँ गया तो बुद्घ मंदिर के अंदर बुद्ध साधु, वो खुद रिसीव करने मुझे बाहर आते थे। "आपका ऑरा कितना अच्छा है, आपका आभामण्डल कितना अच्छा है, एकदम बुद्ध के जैसा आभामण्डल आपका आया, ऑरा अच्छा है।" यानी कहाँ का फायदा कहाँ हुआ। इंग्लैंड में निकाला हुआ
ऑरा का रिपोर्ट का फायदा श्रीलंका में हुआ। (Cont..)
परम पूजनीय सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
समर्पण ग्रंथ - १६३
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:९४
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