मुक्ति

मुक्ति पानी है तो लेन -देन का हिसाब तो यहीं होना चाहिए । पहले देह को त्यागो , केवल आत्मा बनकर जिओ । औऱ देह का उपयोग एक मशीन की तरह करो । रोज़ सुबह ध्यान के पश्च्यात प्रार्थना करो की "हे गुरुदेव , आज़ के दिन में मुझसे जो भी कार्य करवाना है , वह कार्य करवा लीजिए औऱ पतिक्षण आप मेरे साथ रहिए ।आपकी इतनी -सी प्रार्थना . . समस्त दिवस आपका इस प्रकार जाएगा उस प्रार्थना के कारण कि आप पाएँगे कि आपने चाहे जो भी योजना बनाई या आपको चाहे जैसे भी लोग मीले हों किंतु कार्य आपके हाथ से केवल वही घटित हुआ जो होना योग्य था । औऱ चूँकि गुरुशक्तियाँ प्रतिक्षण आपके साथ थीं तो आपको वो सुरक्षा कवच भी प्राप्त हुआ ।

पूज्या : गुरुमाँ
मकर संक्रांति २०१८

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी