आध्यात्मिक क्षेत्र में चित्त का महत्वपूर्ण स्थान
आध्यात्मिक क्षेत्र में चित्त का महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए चित्त-शुद्धि के लिए ही श्री गणेश को पवित्रता का प्रतीक माना गया है। आध्यत्मिक क्षेत्र में प्रथम चित्त की पवित्रता है, चित्त की शुद्धता है। यह पवित्रता चित्त को सशक्त्त करती है। और मनुष्य का भूतकाल चित्त को कमजोर करता है। और मनुष्य की आसक्त्ति चित्त को स्थिर नहीं होने देती है। इसलिए इन दोनों से बचने पर ही चित्त शुद्ध, पवित्र होकर सशक्त्त बनता है और सशक्त्त चित्त से प्रार्थना पूर्ण होती हैं। "
हि. का. स. यो.(1)पेज 49H021
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