परमात्मा सबकी माँ

"परमात्मा सबकी माँ है | परमात्मा की भाषा चैतन्य की भाषा है | परमात्मा का धर्म मनुष्य धर्म है | परमात्मा सभी मनुष्यों से बात करना चाहता है ;बस मनुष्य जब तक अपने शरीर से निर्मित विचारों पर नियंत्रण नहीं करता ,तब तक परमात्मा की चैतन्य की भाषा समझ नहीं सकता है | इसलिए निर्विचारिता आवश्यक है और निर्विचारिता के लिए 'ध्यान ' आवश्यक है | ध्यान मनुष्य को जगाएगा और इस सन्देश को सुनने योग्य बनाएगा | "

*हि.स.यो.१/२९३ *

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