सहस्त्रार चक्र
जब चित्त सहस्त्रार चक्र पर रखकर बोलूँगा तो शरीर के सभी चकों का चैतन्य वाणी में बहेगा और यही मेरे प्रवचन में अनुभव होता है। और पुस्तकों में चैतन्य नहीं होता , ऐसा नहीं है। जो पुस्तकें सहस्रार पर चित्त रखकर लिखी गई , यानी जो पुस्तकें मनुष्य ने लिखी नहीं हैं, परमात्मा की शक्ति ने मनुष्य के माध्यम से लिखी हैं , उन पुस्तकों में भी चैतन्य होता है। प्रश्न यह कि ऐसी पुस्तकें कितनी हैं? और कितनी मनुष्य पढ़ता है ? वे बोलो ,
हि. का. स.भाग - ६ -१४७
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