मंगलमूर्तियों बारे में हिमालय में पूज्य गुरुदेव नागप्पा स्वामीजी ने पूज्य स्वामीजी को दिये हुए संदेशो के कुछ अंश
****** *॥श्री गुरुशक्तिधाम॥* *****
मंगलमूर्तियों बारे में हिमालय में पूज्य गुरुदेव नागप्पा स्वामीजी ने पूज्य स्वामीजी को दिये हुए संदेशो के कुछ अंश ...
"तेरा कार्य बहुत बडा है और समय कम पड़ने वाला है। और अगर ऐसा लगा कि समय कम पड़ रहा है , तो अपनी मूर्तियाँ बनवाकर उनमें संकल्पशक्ति से अपनी कार्यशक्ति को प्रवाहित करना ताकि तेरे जाने के बाद भी तेरे उत्तराधिकारी के रूप में, तेरे माध्यम के रूप में मूर्तियाँ तेरा कार्य करती रहेंगी। वे निर्जीव होकर भी सजीव जैसे ही कार्य करेंगी क्योंकि तू तेरे जीवनकाल में उनका निर्माण करवाऐगा, तू तेरे जीवनकाल में उनमें तेरी प्राणशक्ति डालेगा। उसी जीवंत प्राणशक्ति के कारण वे उस कार्य को जारी रख सकती हैं। मूर्ति एक ऐसा माध्यम है जो निर्दोष होता है। किसी मनुष्य में शरीर के दोष आ सकते हैं , पर मूर्ति में नहीं आ सकते।"
"जिस प्रकार , कलाकार मर जाता है , पर उसकी कला उसके द्वारा बनाए गए शिल्प के कारण जीवित रहती है। ठीक उसी प्रकार से , तू कल नहीं रहेगा , पर तेरा कार्य तेरी मूर्तियों के माध्यम से जीवित रहेगा। क्योंकि कार्य तो अभी आठसौ सालों तक चलने वाला है , तेरा जीवन तो आठसौ सालों तक नहीं रह सकेगा। इसलिए यहीं एकमात्र उपाय है। और तुझे तेरी ही मूर्ति बनवानी होगी क्योंकि ........
*हिमालय का समर्पण योग ३/१३९*
*॥आत्म देवो भव:॥*
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